
भारत में बेरोज़गारी बढ़ने के मुख्य कारण
📚 शिक्षा प्रणाली और कौशल की कमी (Skill Mismatch)
हमारी शिक्षा प्रणाली अभी भी थ्योरी पर ज़्यादा फोकस करती है, जबकि इंडस्ट्री को प्रैक्टिकल स्किल्स की ज़रूरत होती है।
डिग्री तो मिल जाती है, लेकिन छात्र नौकरी के लिए तैयार नहीं होते।
इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट, आर्ट्स जैसी डिग्रियों में लाखों छात्र पास होते हैं, पर उनमें से बहुतों को नौकरी नहीं मिलती।
2. 🏭 नई नौकरियों का न बनना
भारत की आबादी बहुत तेज़ी से बढ़ी है, लेकिन उसी हिसाब से नए रोजगार के अवसर नहीं बने।
मैन्युफैक्चरिंग और इंडस्ट्री सेक्टर धीमा पड़ा है, जिससे जॉब जनरेशन कम हुई है।
स्टार्टअप्स और डिजिटल सेक्टर हैं, लेकिन वे केवल एक सीमित वर्ग को ही नौकरी दे पा रहे हैं।
3. 🤖 ऑटोमेशन और टेक्नोलॉजी
आजकल बहुत-से काम मशीनें या सॉफ्टवेयर कर रहे हैं – जैसे बैंकिंग, डाटा एंट्री, ग्राहक सेवा आदि।
इससे कम लोगों की ज़रूरत पड़ रही है, और पुराने काम धीरे-धीरे खत्म हो रहे हैं।
4. 📈 जनसंख्या वृद्धि और प्रतियोगिता
भारत में हर साल लाखों युवा 18 साल की उम्र पार करके नौकरी की कतार में खड़े हो जाते हैं।
लेकिन नौकरियाँ उतनी नहीं हैं। इससे प्रतियोगिता बहुत ज़्यादा बढ़ गई है और केवल कुछ प्रतिशत ही सफल हो पाते हैं।
5. 🏛️ सरकारी नौकरियों की सीमित संख्या
सरकारी नौकरियाँ कम हो गई हैं या नई भर्तियाँ बहुत धीरे हो रही हैं।
कई बार भर्ती परीक्षाएँ रद्द हो जाती हैं या सालों तक रिज़ल्ट नहीं आता — जिससे युवा मानसिक रूप से भी परेशान हो जाते हैं।
6. 🌾 कृषि पर निर्भरता और छिपी बेरोज़गारी (Disguised Unemployment)
अभी भी भारत की बड़ी आबादी कृषि पर निर्भर है, लेकिन उसमें वास्तविक आय और अवसर बहुत सीमित हैं।
एक ही खेत पर 4 लोग काम करते हैं, जबकि एक ही पर्याप्त होता है — इसे छिपी बेरोज़गारी कहते हैं।
7. 🏙️ ग्रामीण से शहरी पलायन
ग्रामीण युवा नौकरी की तलाश में शहरों की ओर आते हैं, लेकिन वहां विकल्प सीमित होते हैं।
इसके कारण शहरों में अस्थायी और असंगठित रोजगार (जैसे डिलीवरी, मजदूरी, ठेला) बढ़ा है, लेकिन स्थायी करियर नहीं बन पा रहा।
8. 💼 प्राइवेट सेक्टर में अस्थिरता
प्राइवेट कंपनियाँ कॉस्ट कटिंग करती हैं, या आउटसोर्सिंग के कारण नौकरी में स्थिरता नहीं है।
युवा फिक्स्ड टर्म जॉब या कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर काम करते हैं, जिससे भविष्य को लेकर अनिश्चितता बनी रहती है।
📉 इसका असर क्या हो रहा है?
मानसिक तनाव और डिप्रेशन युवाओं में तेजी से बढ़ रहा है।
क्राइम और नशे की प्रवृत्ति कुछ क्षेत्रों में युवाओं के बीच बढ़ रही है।
देश की आर्थिक प्रगति पर भी इसका सीधा असर होता है।
🛠️ समाधान क्या हो सकता है?
शिक्षा को रोज़गारोन्मुख (job-oriented) बनाना
स्किल डेवलपमेंट को प्राथमिकता देना
MSME, स्टार्टअप्स और कृषि-उद्योग को बढ़ावा देना
सरकारी भर्तियों में पारदर्शिता और समयबद्ध प्रक्रिया
ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय रोजगार के अवसर तैयार करना
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